सोमवार, 11 नवंबर 2013

''खार ददरिया'



जुल्मी हे राजा जवानी जोड़ीदार,
मजा ले ले संगी ददरिया खारे खार।।मजा ले ले।।

आरा छोर पारा गिंजरंव तोर नाव म।
बरस जाते संगी बनके पिरित फुहार।।मजा ले ले।।

अलिन गलिन म मोला परथे सुने ल।
तोर सुरता म भइगे जिनगी होवथे खुंवार।।मजा ले ले।।

मया के करिया बदरी मनमोहना मोर।
पानी पुरा अस बोहागे धारो धार।। मजा ले ले।।

का दिन का रतिहा भइगे तोर संसो म।
चिंता फिकर म का सावन का असार।। मजा ले ले।।

सोर संदेशा लिख लिख हारेव पाती ग।
दगा देहे मोला अइसे मयारू मजेदार।। मजा ले ले।।

छत्तीसगढ़ी साहित्य सर्जक
गीतकार : एमन दास मानिकपुरी
औंरी, भिलाई—3​, जिला दुरूग।
मो.7828953811

चित्र सभार: प्रमोद यादव [द्वारा: रचनाकार]