चुल्हा म माढ़े अंगाकर रोटी ल जरत देखे हंव,
मय तो आंसू संग म करेजा चुरत देखे हंव।
कठलत हांसी के पांख धरे कभू उड़य अगास म,
उही मन ल मसोच के एक दिन मरत देखे हंव।
हरदी सही कुचरात रहीगे आस बिसवास के डोरी,
ऐसे बंधना मया के भपका बरत देखे हंव।
कसकत आंखी म अतेक बर सपना समोख डारेव,
हस्ती रहीके काबर परस्ती रहत देखे हंव।
मन धुंका संग पिरित बोहागे ओरवाती के धार,
बिन ओधा झीपार जीनगी बहत देखे हंव।
सग बाप ल नौकर बतैया मतलबिया मनखे,
अउ बखत परे गदहा ल बाप कहत देखे हंव।
देखत देखत आंखी म घन अंधियारी छा गे,
इही अंधियारी ले एक सुरूज उवत देखे हंव।
गीतकार
एमन दास मानिकपुरी
औंरी, भिलाई 3, दुरूग
मो. 7828953811
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