हमरे कमई म सबो झन भुंकरत हे!
कोलिहा कुकुर कस खा के डंकरत हे।
अब आये हे मौका मजा बताना हे जी,
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
कोलिहा कुकुर कस खा के डंकरत हे।
अब आये हे मौका मजा बताना हे जी,
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
जिय जांगर ल थको के हमन,
मर मरके कमाथन।
आये चुनई बखत म पी के,
जुच्छा राख धराथन।
धारोधार दारू सही नइ बोहाना हे जी,
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
मर मरके कमाथन।
आये चुनई बखत म पी के,
जुच्छा राख धराथन।
धारोधार दारू सही नइ बोहाना हे जी,
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
माटी—पुत मजदूर होय चाहे,
श्रम देवता किसान।
हक बिरता बर जिना मरना,
कहिथे गीता अउ कुरान।
गांव गांव म इही जोत जगाना हे जी।
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
श्रम देवता किसान।
हक बिरता बर जिना मरना,
कहिथे गीता अउ कुरान।
गांव गांव म इही जोत जगाना हे जी।
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
लुटे बर छत्तीसगढ़ बनगे,
चारो मुढ़ा चमके वेपार।
खेती खार जम्मो उजड़गे,
कब तक सहिबो अत्याचार।
लहूवान जवान मन ल चेताना हे जी।
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
चारो मुढ़ा चमके वेपार।
खेती खार जम्मो उजड़गे,
कब तक सहिबो अत्याचार।
लहूवान जवान मन ल चेताना हे जी।
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
मुंह के कौरा गिरवी धरागे,
कतको भुईंया बेचागे।
स्वाभिमान के नारा उजड़गे,
सबे भितरे भितर लेसागे।
जुरमिल धरती दाई के लाज बचाना हे जी।
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
कतको भुईंया बेचागे।
स्वाभिमान के नारा उजड़गे,
सबे भितरे भितर लेसागे।
जुरमिल धरती दाई के लाज बचाना हे जी।
अपन वोट के ताकत ल देखाना हे जी।
गीतकार—
एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
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