सिहावा के कोरा ले,
ठुमकत आथे महानदी।
फसकरा के बइठे गंगरेल म,
पियास बुझाथे महानदी।
ठुमकत आथे महानदी।
फसकरा के बइठे गंगरेल म,
पियास बुझाथे महानदी।
माटी ऊजराके उजजर होगे,
सबके भाग जगाथे महानदी।
लहरा तौर गंगा बरोबर,
पाप धोवागे महानदी।
सबके भाग जगाथे महानदी।
लहरा तौर गंगा बरोबर,
पाप धोवागे महानदी।
—एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
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