स्वारथ के शूली म चढ़गे,
पर्यावरण के नारा।
गोल्लर कस हुंकरत भुंकरत हे,
रूख—राई के हत्यारा।
पर्यावरण के नारा।
गोल्लर कस हुंकरत भुंकरत हे,
रूख—राई के हत्यारा।
कतको कमाबे पुर नई आये,
जेकर करम बिरबिट करिया हे।
मय भरे तरिया खाल्हे देखेंव,
ओकर धनहा परिया के परिया हे।
जेकर करम बिरबिट करिया हे।
मय भरे तरिया खाल्हे देखेंव,
ओकर धनहा परिया के परिया हे।
पढ़े लिखे तक अढ़हा होगे,
बईहा होगे बेपारी।
नेता मन सब नकटा होगे,
निचट गदहा होगे अधिकारी।
बईहा होगे बेपारी।
नेता मन सब नकटा होगे,
निचट गदहा होगे अधिकारी।
राजनीत रांढ़ी रक्खी बर,
सबो के डोलत हे ईमान।
बने —बने मनखे मन होगे,
लबरा जुटहा अउ बेइमान।
सबो के डोलत हे ईमान।
बने —बने मनखे मन होगे,
लबरा जुटहा अउ बेइमान।
मरनी के बेरा म करनी दिखे,
तभो ले नई चेते इंसान।
आंखी देखे सुने कान फेर,
बइठे हे बन के अनजान।
तभो ले नई चेते इंसान।
आंखी देखे सुने कान फेर,
बइठे हे बन के अनजान।
दया धरम हिरदे म धरही,
तौने सरग ल पाही जी।
अउ जनम बर फुल का चढ़ाबे,
इही जनम सफल हो जाही जी।
तौने सरग ल पाही जी।
अउ जनम बर फुल का चढ़ाबे,
इही जनम सफल हो जाही जी।
अइसे करनी करव मोर संगी,
सब माया भसम हो जाये।
बड़ दुखदाई ये पिंजरा छोड़,
हंसा अपन घर जाये।
सब माया भसम हो जाये।
बड़ दुखदाई ये पिंजरा छोड़,
हंसा अपन घर जाये।
साहेब बंदगी साहेब
—एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
—एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
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