चेतू तीर चलाना कब सीखा
उसे नहीं पता
शायद मां की कोख से
सीखा है अचूक निशाना लगाना
उंचे उंचे पेड़ों पर चड़ना
महुवे से पेट भरना
भूख को चिड़हाना
दर्द को आंखे दिखाना
सब कुछ खोकर भी
मुस्कुराने का हुनर
चेतू ने सीखा है
शायद मां की कोख से
कंटीली झाड़ियों को
नंगे पांव रौंदकर चलना
पथरीली पगडंडियों पर
सरपट दौड़ना
कदम कदम बीहड़ को नापना
पहाड़ों से डोंगर को झांकना
सीखा है चेतू
अपनी मां की कोख से
—एमन दास
उसे नहीं पता
शायद मां की कोख से
सीखा है अचूक निशाना लगाना
उंचे उंचे पेड़ों पर चड़ना
महुवे से पेट भरना
भूख को चिड़हाना
दर्द को आंखे दिखाना
सब कुछ खोकर भी
मुस्कुराने का हुनर
चेतू ने सीखा है
शायद मां की कोख से
कंटीली झाड़ियों को
नंगे पांव रौंदकर चलना
पथरीली पगडंडियों पर
सरपट दौड़ना
कदम कदम बीहड़ को नापना
पहाड़ों से डोंगर को झांकना
सीखा है चेतू
अपनी मां की कोख से
—एमन दास
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