आये हैं कहां से और जाना कहां हैं।
पता कर पंछी तेरा ठिकाना कहां हैं।।
जहां से उड़ा था वो डाली नहीं हैं।
वो बगिया नहीं हैं वो माली नहीं हैं।।
सुना था कभी जो अनहद अनोखी
वो मधुरी वाणी वो तराना कहां हैं।
पता कर पंछी,,,
उड़ता रहा जिस पवन के सहारे।
कोई न जीता सब है इससे हारे।।
तू अकेला चला था अपनी जिद में।
देख जरा मुढ़के किनारा कहां हैं।।
पता कर पंछी,,,
बित गया दिन अब रात हो रही है।
सोचा नहीं था वही बात हो रही है।।
छोड़ आया था जो आनंद की बस्ती।
वो मस्ती का गांव वो घराना कहां हैं।
पता कर पंछी,,,
—एमन दास
पता कर पंछी तेरा ठिकाना कहां हैं।।
जहां से उड़ा था वो डाली नहीं हैं।
वो बगिया नहीं हैं वो माली नहीं हैं।।
सुना था कभी जो अनहद अनोखी
वो मधुरी वाणी वो तराना कहां हैं।
पता कर पंछी,,,
उड़ता रहा जिस पवन के सहारे।
कोई न जीता सब है इससे हारे।।
तू अकेला चला था अपनी जिद में।
देख जरा मुढ़के किनारा कहां हैं।।
पता कर पंछी,,,
बित गया दिन अब रात हो रही है।
सोचा नहीं था वही बात हो रही है।।
छोड़ आया था जो आनंद की बस्ती।
वो मस्ती का गांव वो घराना कहां हैं।
पता कर पंछी,,,
—एमन दास
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