कइसे होथे रंग जीनगी के
बेरा सब ल देखा देथे
बेरा के परताप गजब हे
सबके पय ल बता देथे
बेरा सब ल देखा देथे
बेरा के परताप गजब हे
सबके पय ल बता देथे
बेरा तो सबके आथे फेर
बेरा सबके रहय नहीं
बखत परे बेरा नइ मिलय
बखत म बेरा टरय नहीं
आज मोर काली तोर बेरा हे
बेरा ह सरकत जाथे जी
बारी बारी ओसरी पारी
बेरा ह सब ल खाथे जी
बेरा ल कऊन समझ पाए हे
बेरा के बिकट तमाशा हे
बेरा ह सब ल निराश करय
बेरा ले सब के आशा हे
-एमन दास मानिकपुरी
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