आकाशवाणी रायपुर द्वारा 'मोर भुईंया' कार्यक्रम में प्रसारित,,,
'गीत'
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
तब जुठा काठा पाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
जादा झन मेछराबे,
पुछी भर ल हलाबे,
तय छटारा झन लगाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
सींग ल झन हलाबे,
हुदेन हुदेन के खाबे,
जादा मुंह ल झन उलाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
तोर पुछैया बहुंत कम हे,
फेर कुबड़ म बहुंत दम हे,
हुंकरत भुंकरत बइठ जाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
पेरा भुंसा बर झन मरबे,
बने हरियर चारा ल चरबे,
ढिल्ला पुल्ला म खुसरबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
कभू अकेल्ला झन तय रीबे,
बने पानी पसिया ल पीबे,
बरदी संग म संघरबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
गीतकार
—एमन दास मानिकपुरी
रचना वर्ष — 2018
प्रसारण— 'मोर भुईंया' कार्यक्रम अकाशवाणी रायपुर
'गीत'
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
तब जुठा काठा पाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
जादा झन मेछराबे,
पुछी भर ल हलाबे,
तय छटारा झन लगाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
सींग ल झन हलाबे,
हुदेन हुदेन के खाबे,
जादा मुंह ल झन उलाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
तोर पुछैया बहुंत कम हे,
फेर कुबड़ म बहुंत दम हे,
हुंकरत भुंकरत बइठ जाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
पेरा भुंसा बर झन मरबे,
बने हरियर चारा ल चरबे,
ढिल्ला पुल्ला म खुसरबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
कभू अकेल्ला झन तय रीबे,
बने पानी पसिया ल पीबे,
बरदी संग म संघरबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
गीतकार
—एमन दास मानिकपुरी
रचना वर्ष — 2018
प्रसारण— 'मोर भुईंया' कार्यक्रम अकाशवाणी रायपुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें