गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

ठउका पगुरावत आबे रे,

आकाशवाणी रायपुर द्वारा 'मोर भुईंया' कार्यक्रम में प्रसारित,,,
'गीत'

ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
तब जुठा काठा पाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।

जादा झन मेछराबे,
पुछी भर ल हलाबे,
तय छटारा झन लगाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।

सींग ल झन हलाबे,
हुदेन हुदेन के खाबे,
जादा मुंह ल झन उलाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।

तोर पुछैया बहुंत कम हे,
फेर कुबड़ म बहुंत दम हे,
हुंकरत भुंकरत बइठ जाबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।


पेरा भुंसा बर झन मरबे,
बने हरियर चारा ल चरबे,
ढिल्ला पुल्ला म खुसरबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।

कभू अकेल्ला झन तय रीबे,
बने पानी पसिया ल पीबे,
बरदी संग म संघरबे रे,
दलबदलु गोल्लर।
ठउका पगुरावत आबे रे,
दलबदलु गोल्लर।

गीतकार
—एमन दास मानिकपुरी
रचना वर्ष — 2018
प्रसारण— 'मोर भुईंया' कार्यक्रम अकाशवाणी रायपुर

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