मंगलवार, 24 सितंबर 2019

बीत्ता भर पेट के ख़ातिर,
गढ़े हे तोला भगवान रे,,
हाय ग अनियमित कर्मचारी,
तोर कतका करौ बखान रे,,

छंटनी के फांदा मा फसगे,
तोर सरी जिनगानी।
डौकी लैका भूखो मरगे,
विधि के दैखौ बैमानी।
छाती उप्पर करजा चढ़गे,
पेट म भूत मसान रे,
हाय ग अनियमित कर्मचारी,
तोर कतका करौ बखान रे,

तोरे कमाई म सबो भुंकरत हे,
तैं कमा कमा के हकर गे।
तोर भाग म संसो फिकर हे,
सब खा खा के डकर गे।
कोढ़िया मन के महल अटारी,
तैं सौंउहत होगे कंगाल रे,
हाय ग अनियमित कर्मचारी,
तोर कतका करौ बखान रे,

बपुरा बने म देखो तो,
काम सबो बिगड़त हे।
रावा भिया खांव खांव म,
हमला सबो रगड़त हे।
जागव रे रणचंडी पूत मन,
अब जांगर के दव बलिदान रे,
हाय ग अनियमित कर्मचारी,
तोर कतका करौ बखान रे,

सुने गुने के मौका नैहे,
मुंह देखना अनदेखनी बात।
आज गरीब के पेट मुंह म,
लौठी गोली कौरा भात।
जांगर टाठ करे बर परही,
तब होही नवा बिहान रे,
हाय ग अनियमित कर्मचारी,
तोर कतका करौ बखान रे,

मरके घलो सरग नै पायेन,
मिहनत करके मरगेन जी।
गजब गरु गरीबी हाय रे,
भरे जवानी सरगेन जी।
जूझत भर ले जूझना हे,
तंह अंत निकलय परान रे,
हाय ग अनियमित कर्मचारी,
तोर कतका करौ बखान रे,

गीतकार - एमन दास मानिकपुरी


शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

सभी इसरो टीम को सादर नमन
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कतको आही बाधा रे,
जूझत तोर पारा चल देहूं।
आज नहीं त काली रे चंदा,
बइंहा म तोला धर लेहूं।

मैं भारत अंव मोर भुजा के,
दुनिया लोहा मानत हे।
रेंगे रसता डिगे नहीं मोर,
बल बुध्दी सब जानत हे।
मोर उड़ान बिफल नै होही,
गगन पार फेर कर लेहूं।
आज नहीं त काली रे चंदा,
बइंहा म तोला धर लेहूं।

मैं तोर दिदार करहूं कहेंव,
तय मोला आगोश म ले डारे।
अउ लहुट के आहूं मय हा,
चाहे कोनो कुछू काहे।
बढ़ मुश्किल हे ये रसता,
मोर मंज़िल तोला बना लेहूं,
आज नहीं त काली रे चंदा,
बइंहा म तोला भर लेहूं। 🙏भारत माता की जय 🙏
-एमन दास मानिकपुरी
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गुरुवार, 5 सितंबर 2019

ये काफिले आने के और जाने के हैं
ज़िंदगी के चार दिन आजमाने के हैं
मौत के उसपार हकीकत की तस्वीर है
बांकी ये सब तो बस छलाने के हैं
-एमन दास मानिकपुरी
(anjorcg.blogspot.com)



दामन पे लगा दाग, कभी धुलता नहीं।
पत्थर की लकीर हवा में घुलता नहीं।
तू भूल जा बेशक, अपनी गुनाहों को।
मगर वो खुदा कभी भुलता नहीं ।
-एमन दास
(anjorcg.blogspot.com)