शनिवार, 1 दिसंबर 2018

अंगना अंजोरी कब होही?

अंधियारी म दुखयारी के, अंगना अंजोरी कब होही?
हो रे हो! अंगना अंजोरी कब होही?
सांस के तेल जरय, आस के बाती हो।
तन माटी के दियना, बरय दिन राती हो।
जिनगी म पियारी के, बंधना डोरी कब होही?
हो रे हो! अंगना अंजोरी कब होही?
बछर — ​बछर बैरी, उमर उड़ भागे हो।
रसता जोहत दूनो, नैना नजर लागे हो।
कुलवंतीन कुंवारी के, लगन होरी कब होही?
हो रे हो! अंगना अंजोरी कब होही?
लाज लहर के पीये, मधुर मतौना हो।
बरबस रूप रंग, साजे खोचे दौना हो।
मया म चिन्हारी के, संग संगवारी कब होही?
हो रे हो! अंगना अंजोरी कब होही?
लुगा के अचरा लाली, झन लुलवाये हो।
आंखी के कजरा कारी, झन बोहावे हो।
लोखन लेनहारी के, सगा ससुरारी कब होही?
हो रे हो! अंगना अंजोरी कब होही?
आंखीच आंखी म, सुरता समाये हो।
संसो फिकर म, सरी जिनगी पहाये हो।
धनी बिन धियरी के, परछी बारी कब होही?
हो रे हो! अंगना अंजोरी कब होही?
तन म मौरे हे, मन के मौहा हो।
बैरी बिकट गरू, मुढ़ बोझा झौंहा हो।
रस रंग गुलाली के, माहूर मोटियारी कब होही?
हो रे हो! अंगना अंजोरी कब होही?
घाट घठौंदा नदी नरवा नहाक लेतेंव।
कोठा कुरिया ल बने, जीभर झांक लेतेंव।
बेरा म चला चली के, कोनो दोसदारी झन देहू!
हो रे हो! सैंया के नांव ले लेहूं
—एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'

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