बुधवार, 15 जनवरी 2020

आने—जाने का सिलसिला, यूं ही चलते रहेंगे

आने—जाने का सिलसिला, यूं ही चलते रहेंगे।
कभी हम मिलते रहेंगे, कभी बिछड़ते रहेंगे।।

ये जीवन है जिसकी, उसकी रीत पुरानी है।
कभी हम गिरते रहेंगे, कभी संभलते रहेंगे।।

समय की सीमा से, बंधा हर कोई यहां।
कभी हम जलते रहेंगे, कभी बुझते रहेंगे।।

इस सुहाने सफर का, बस मजा लीजिए।
कभी हम रोते रहेंगे, कभी हंसते रहेंगे।।

—एमन दास मानिकपुरी

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