रविवार, 1 सितंबर 2013

दूलौरिन 'छत्तीसगढ़ी' !


शहरिया मन भावे नहीं, बदलत हे गवईहा,
मोर बेटी छत्तीसगढ़ी बर, नई मिलत हे जउंरिहा!   

महाकांतर म जनम धरे,
ये  महानदी के कोरा म !
गुडी के गुरतुर गोठ म बाड़े,
महतारी भाखा निहोरा म!
सुरता म बीते जइसे, सावन सरी उमरिया,
मोर बेटी छत्तीसगढ़ी बर, नइ मिलत हे  जउंरिहा!

ननपन म 'नाचा' के खंधैया,
फुदक फुदक के खेले !
बाढ़े म 'ददरिया' के दुख,
'सुवा' संग म झेले !
'करमा' संगवारी तोर 'पंथी' लहरिया
 मोर बेटी छत्तीसगढ़ी बर, कहा खोजव जउंरिहा!

करले सवांगा बोली के ,
संगी पारत हंव गोहार ल !
सुन्ना झन होय भाखा बिन,
तरीया,डोंगरी, खेती खार ह !
बेटी मोर चट गोरी, मन मयारू  उमरिया ,
मोर बेटी छत्तीसगढ़ी बर,कहा खोजव जी जउंरिहा!

धनहा कटोरा म जैसे,
हरियाथे सुघ्घर धान ह!
तैसे मोर ये भाखा छत्तीसगढ़ी,
गजब सुहाथे कान म!
हमतो फटकारबो भैया, लजावन दे लजइया,
मोर बेटी छत्तीसगढ़ी, तय मान बढाये  बढ़िया !!  

 श्री एमन दास मानिकपुरी
सम्पर्क : औरी, भिलाई-3 दुर्ग छत्तीसगढ़ ।
मोबाईल : 78289 53811

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