गुरुवार, 30 जनवरी 2014

"सुआ सुआ गोहरायेंव"

सुआ सुआ नाम गोहरायेंव,
सुआ नइतो पायेंव राम।।

आंखी कोर म काजर आंजेंव,
करिया सुरता मन म भांजेंव,
करिया रिसागे मनायेंव राम,
सुआ नइतो पायेंव राम।।

कोलमोआ चाउंर दार बघरा पसौना,
सुनेल भ्इगे रात दिन तरिया गठौना,
ताना ठोसरा दिन बितायेंव राम,
सुआ नइतो पायेंव राम।।

कहां नंदागे मोर मनबोधना मयारू,
श्याम सही करिया संगी गंगाबारू,
बासी पताल चटनी चिख चिख खवायेंव राम,
सुआ नइतो पायेंव राम।।

परके भोभस म जइसे करनी करम के,
मनता भरमाथे ओ धरनी धरम के,
आस विसवास संगे छोड़ायेंव राम,
सुआ नइतो पायेंव राम।।

जियलेवा डोंगरी के नखरा बड़ भारी हे,
सिरतोन गोठियाथे पनका उहू लबारी हे,
जात जतवन के सगा पायेंव राम,
फेर सुआ नइतो पायेंव राम।।

गीतकार:
एमन दास मानिकपुरी
औंरी, भिलाई—3,तह. पाटन जिला— दुरूग।
मो.7828953811

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