गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

डोंगरी म करिया

बंदन के चंदन कनेर के फुल,
गुलैची के माला टोटा तरी झुल।

पर के भोभस बर बलिदान होगेंव,
हांसी होगे मोर मय चंडाल होगेंव।

मौत मयारूक मय मौत के दीवाना,
मौत मंजिल बर बिरथा हे बौराना।

पर खातिर जिये मरे उही जुझारू,
बिन खोजे दरस देहे तौने मयारू।

हिरदे के भितरी म कुलुम अंधियार,
कलप कलप खोजेंव देखेंव दिया बार।

अंतस म ठाह पायेंव बगरे अंजोर,
चुहत आंसू दरस पायेंव दुनों कर जोर।

बिन पानी तरिया सुरूज न चंदा,
भरम न भुत उंहा सुखे सुख म बंदा।

तैसे देस मोर जिहा ले मय आयेंव,
कबीर परेमी कबीर गीत गायेंव।

टारे नई टरे बाबू करम गति भारी,
छुट जाही दाग कभू आही मोरो पारी।

गीतकार 
एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
औंरी, भिलाई—3, जिला—दुरूग
मो.7828953811

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