बने हन के बासी खा ले रे नंगरिहा
चिखला माटी के मजा तभे आही
बने तान के तैहां गा ले रे ददरिया
चिखला माटी के मजा तभे आही
गारे पसीना मिहनत के,
तोर अबिरथा नै जावय
नांगर धरे बिन जांगर थकथे,
फल करम बिन नै पावय
उतर डोली म जीनगी जंग हे,
अऊ जोत दे तय कतको हरिया
चिखला माटी के मजा तभे आही
तन माटी हे मन माटी,
माटी बिना मन नै लागय
माटी म माटी मिलथे तब
जीनगी जनम हा नीक लागय
पुरवज के परताप हे तोर कर
ढिल दे पिरित छलकै नरवा
चिखला माटी के मजा तभे आही
बने हन के,,,
एमन दास 'अंजोर'
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