शुक्रवार, 16 सितंबर 2022

चिखला माटी के मजा

बने हन के बासी खा ले रे नंगरिहा 

चिखला माटी के मजा तभे आही 

बने तान के तैहां गा ले रे ददरिया 

चिखला माटी के मजा तभे आही 


गारे पसीना मिहनत के, 

तोर अबिरथा नै जावय 

नांगर धरे बिन जांगर थकथे, 

फल करम बिन नै पावय 

उतर डोली म जीनगी जंग हे,

अऊ जोत दे तय कतको हरिया 

चिखला माटी के मजा तभे आही 


तन माटी हे मन माटी,

माटी बिना मन नै लागय 

माटी म माटी मिलथे तब 

जीनगी जनम हा नीक लागय 

पुरवज के परताप हे तोर कर 

ढिल दे पिरित छलकै नरवा 

चिखला माटी के मजा तभे आही 


बने हन के,,,

एमन दास 'अंजोर'


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