रविवार, 1 सितंबर 2013

'परदेसिया बसंत'

लाने पिरित पाती मोहे मनरसिया,
ऐसन बसंत बाबू होगे परदेसिया !

बही बन बगीया मरत हे पीयास,
तरसे हिरदे हिरनिया मन मंजूर उदास!
सुध सवांगा साधे जोहे रददा रतिहा,
 ऐसन बसंत बाबू होगे परदेसिया !

फुल फुले मया,अंग डारे पिरित रंग,
बिन पांखी उड़ चले सुरता बिरिज बन!
मोटियारी मन भाए ऐसे मन बसिया,
ऐसन बसंत बाबू होगे परदेसिया !

कोन बन रहवास ठौर न ठिकाना,
मधुबन के छैला बाबू सुध धरे आना!
बिन देखे तरसे सुरता सुरतिया,
ऐसन बसंत बाबू होगे परदेसिया !

लोरत लाली लुगा, ललकार पूछे पैजनिया,
कजरा टिकली टंकारय रटपटा के करधनिया!
आहू कहे नै आये लेके बरतिया,
 ऐसन बसंत बाबू होगे परदेसिया !

पियाके पिरित पानी छोड़े मया छाँव म,
किरिया करार बर पहिरेव पैरी पाँव म!
रजनी रंगरेली रम्भा आस धरे रधिया,
काबर बसंत बाबू होगेस परदेसिया ?

 
श्री एमन दास मानिकपुरी
सम्पर्क : औरी, भिलाई-3 दुर्ग छत्तीसगढ़ ।
मोबाईल : 78289 53811

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