शनिवार, 3 मई 2014

येद मया तोर



तोर बिना चिटको मन रही नई पावत हे,
येद मया तोर मोला कतका तरसावत हे।

गुरतुरहा मिठ बोली रंगरेली गतबानी,
कुंवर कुंवर हाथ पांव छछलत जवानी।
मंद मतौना आंखी नजर भरमावत हे।।येद मया तोर।।

मनमेाहनी रूप सरर बरर सांगर मोंगर,
करमा के ताल मया बिधुन बाजे मांदर।
ऐसन बेलबेलही मोला कुलकावत हे।। येद मया तोर।।

निचट निक नखरा तोर हांसी बोली बतरा,
लाज लहर सिंगार गल हार पिरित पतरा।
पलकन घुंघटा बड़ा चुलकावत हे।। येद मया तोर।।

हिरदे निर्मल ​काया घन मोटियारी आसा,
झुली झुली रेंगना कोयली कुहकी भाखा।
गाल गोदना डोहड़ी सैता डोलावत हे।। येद मया तोर।।

बेनी गांथे फुलवा मार महकत पुरवैया,
लचलचहा कनिहा चाल चहकत अमरैया।
गउंकी आंखी आंखीच म समावत हे ।। येद मया तोर।।

गीतकार 
एमन दास मानिकपुरी
औंरी, भिलाई 3, दुरूग।
मो.7828953811

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