बुधवार, 18 जून 2014

'नखरेली'


तय तो मोला छोड़ देहस,
त सुरता म काबर आथस।
मोर कलपना ल नई जानेस,
त अउ काबर कलपाथस।

अलबोलनी अस बोलस नहीं,
रही रही मन ल तरसाथस।
आवत जावत अलिन गलिन,
बिन बात मोला भरमाथस।

तय का समझे मोला रे बैरी,
जेमा नखरा अतेक देखाथस।
फोकट तोर बर हांसी बितायेंव,
तेमा फोकटे फोकट रोवाथस।

निरमोही अस पथरा होगेस,
त अब काबर पछताथस।
मुंह अखरा तोर बोली बतरा,
बानी वाली अस डराथस।

मया ले लहरा म मोला बोरेस,
अउ अपने अपन रिसाथस।
संगे रसता रेंगबो कहिके,
घेरी बेरी काबर पछुवाथस।

तोर बिना सुन्ना मोर जिनगी,
तेमा आगी काबर लगाथस।
किरिया खवाके मोला रे बैरी,
तिर म बलाके दुरिहाथस।

पिरित के का चिन्हारी हवय,
तेमा काला तय चिन्हाथस
जनम जनम के ये रिस्ता,
गउ बिरथ दाग लगाथस।

गीतकार 
एमन दास मानिकपुरी
औंरी, भिलाई3, जिला दुरूग।
मो.7828953811





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