मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

का हो ही

हुंकराय भुंकराय ले का होही
गजब  मेछराय  ले  का  होही



चाल  चलन  म किरा परे  हे
चेहरा चमकाय ले का होही


उंकर आंखी म सबो दिखत हे
तोर  लुकाय  ले  का  होही


मरनी के बेरा म करनी दिखथे
तब  पछताय  ले  का  होही


बिन मिहनत मिठाय नहीं कौरा
फोकट  अटियाय  ले  का होही


लच्छू ठेला म पगुरावत बैठे रा
कमाय  नै कमाय  ले का होही


कतको  कमाबे  पुर नै आवे
तोर जोरे बचाय ले का होही


मन मैलाहा निठुर चोला म
कातिक नहाय ले का होही


करिया नजर के आंखी करिया
काजर  अंजाय  ले  का  होही


करम धरम म जनम अलगागे
जीनगी अलगाय ले का होही


हरहा मरहा हमला तय जाने
अब जाने जनाय ले का होही


लकठा म आके बोले न बताए
दूरिहा से बलाय ले का होही


उलझे उलझाय लेथे जवारा
अब के तरसाय ले का होही


कोठा कुरिया खेतीखार नै झांके
जुच्छा हाथ हलाय ले का होही


— एमन दास मानिकपुरी
anjorcg.blogspot.com 


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