गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

मुक्तक

जबले छत्तीसगढ़ ह नवा राज बने हे
बाहिर के कोलिहा कुकुर इहां बाज बने हे
अधिकारी बेपारी नेता ढोल पीटत हे
राजनीति इकर मन के साज बने हे


लुटे बर छत्तीसगढ़ बनगे, चोरी के चलय बेपार रे
लबरा मन चांदी काटय, दोगला बर सजे बजार रे
हक बिरता सबो नंगागे, का गांव का शहार रे
तोर हमर बर रोज गरीबी रोजेच हवय दूकाल रे




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